माघ मेला (Magh Mela)
This article is about a religious fair called as Magh Mela, which is held at Sangam in Allahabad. People come in this fair from every cast and community and from various parts of the world. It is the biggest fair in the world, because millions of people come in this fair.
माघ मेला (Magh Mela)
गंगा, यमुना और सरस्वती के तट पर हर वर्ष लगने वाला मेला जिसे हम माघ मेला कहते है इलाहाबाद शहर में लगता है| और अब यह इलाहाबाद शहर की एक पहचान बन गया है| यहाँ तीन नदियों का संगम (Sangam) होता है, जिसमे से दो नदियाँ पानी की है गंगा और यमुना परन्तु तीसरी नदी सरस्वती ज्ञान की है, इसलिए यह अदृश्य (Invisible) है, तथा दिखाई नहीं देती| माघ मेला बहुत प्राचीन काल से चला आ रहा मेला है| संगम की रेत पर यह मेला हर वर्ष एक माह के लिए लगता है|
इस मेले में देश-विदेश से लाखों की संख्या में सैलानी आते है| इस मेले की यह मान्यता है की संगम की रेत पर जो एक माह का कल्पवास करता है उसके सारे पाप धुल जाते है| संगम की रेत पर कई एकड़ ज़मीन पर इस मेले को तम्बुओं द्वारा बसाया जाता है, और इन्ही तम्बुओं में रहकर लोगों को एक माह का कल्पवास करना पड़ता है| यह मेला पौष पूर्णिमा से प्रारंभ होता है और बसंत पंचमी तक चलता है| इस मेले में एक से एक बड़े और विद्वान साधू-संत आते है और यह लोग भी एक माह तक रह कर प्रवचन और सत्संग करते है, इससे यहाँ आए लोगों को एक से एक ज्ञान की बातें प्राप्त होती|
इस मेले में नागा बाबाओं का भी जमघट लगता है| नागा बाबा एकदम नग्न अवस्था में इस मेले में रहते हैं| माघ मेले का आयोजन हर वर्ष होता है परन्तु हर छः वर्ष पर अर्ध कुम्भ और हर 12 वर्ष पर महा कुम्भ (Maha Kumbh) का आयोजन होता है| संगम के तट पर एक ओर जहाँ तीनों नदियों का संगम हर तो वही दूसरी तरफ बड़े हनुमान जी का मंदिर है| जो लोग मंदिर आते है वह इस मंदिर में दर्शन ज़रूर करते है| यह मंदिर बहुत ही प्राचीन है और इस मंदिर में हनुमान जी की एक विशाल मूर्ती है| संगम तट पर एक किला है जिसे अकबर बादशाह ने बनवाया था, अब यह किला "अकबर का किले" के नाम से जाना जाता है| इसी किले के अंदर अक्षय वट का वृक्ष है जिसकी हिंदू मान्यता में काफी एहमियत है|